कटनी जिले में मानसून आते ही हाईब्रीड बीज और कीटनाशक कंपनियो भरमार, किसानों को हइब्रीड का दे लॉलीपॉप हो रही मालामाल
बहोरीबंद जिला कटनी से मनोज तिवारी की रिपोर्ट
मानसून सीजन के आते ही बाजार में धान के बीज की सैकड़ो हइब्रीड की किस्मे औने पौने दामो पर बिकने को तैयार, क्या कृषि विभाग द्वारा इन सभी कंपनियों की बीजो की गुणवत्ता की जांच की जा रही या फिर ये कंपनियां केवल किसानों को ठगने का काम कर रही है
*इन कंपनियों द्वारा बेचे जा रहे उनन्त किस्म के बीज व कीटनाशक एवम उर्बरक को लेकर जो दावे किये जाते है यदि दिए मानकों पर ख़री नही उतरती तो क्या ये कंपनियां किसानों को नुकशान की भरपाई करने को तैयार है यदि नही तो किसकी मेहरबानी है इन कंपनियों पर आखिर क्यों है ?*
केन्द्र सरकार व राज्य सरकार द्वारा किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य को लेकर कितने भी अधिकारी नियुक्त कर दिए जाएं किंतु इन अधिकारियों का उद्देश्य केवल वातानुकूलित कमरे के अंदर बैठकर योजनाए बनाने और कागजो में आंकड़े दिखाने तक ही कैद हो गया है मानो ये अधिकारी बाहर निकलना ही नहीं चाहते की किसान किस दुर्दशा का शिकार हो रहा है या तो फिर मैदानी अधिकारियों के द्वारा वातानुकूलित कमरे से बाहर निकल कर किसानो के हित में काम करना अच्छा नहीं लगता । जमीनी हकीकत का ज्ञान होने के बाद भी कटनी जिले भर में हजारों की संख्या में चल रही बगैर लाइसेंस की खाद बीज उर्वरक एवं कीटनाशक दवा बेचने की दुकान है इन दुकानों को चलाने वाले बगैर प्रशिक्षित लोग हैं जो खेती किसानी के ज्ञान से जीरो हैं इसके बाद भी दुकानों का संचालन धडल्ले से किया जा रहा है कुछ एक के पास तो दुकान चलाने का लाइसेंस भी नहीं है इन्हें खेती किसानी का कोई अनुभव भी नहीं है बिना लाइसेंस की दुकानों के संचालन से शासन के राजस्व का भी नुकसान होता है वहीं दूसरी ओर किसानों के साथ छलावा की स्थिति बनी रहती है लाइसेंस हीन दुकानों के द्वारा फर्जी कंपनियों के गुणवत्ताविहीन कीटनाशक उर्वरक एवम बीज को उनन्त शील बीज बता कर औने पौने दामो पर बेचे जा रहे हैं जिसका दुष्परिणाम किसान भुगत रहा है और यदि बाद में इस कीटनाशकों एवम गुणवत्ताविहीन बीजों की शिकायत यदि किसानों द्वारा संबधित अधिकारियों से की जाती है तो अधिकारियो द्वारा उल्टा किसानों को ही तरह तरह के सवाल जैसे मिट्टी में नमी की कमी , पानी की कमी , तरीके से देख भाल न करना आदि सवालो में उलझा दिया जाता है बेचारा किसान थकहार कर चुप हो जाता है प्रशासनिक अधिकारी कमरे से बाहर निकलना ही नहीं चाहते की ऐसी फर्जी कंपनियों पर शिकंजा कसने की जगह उनके सामने मजबूर नजर आते है सूत्रों की माने तो क्षेत्र भर दुकान के द्वारा टिन नंबर वाले बिल नहीं दिए जाते लाइसेंस प्राप्त दुकानों एवं गैर लाइसेंस वाली दुकानों में कोई अंतर समझ में नहीं आता लाइसेंसी दुकानों के द्वारा लाइसेंस को नोटिस पटल पर चस्पा नहीं किया गया है जिससे किसान संदेह में बना रहता है लाइसेंसी दुकानों के द्वारा भी नामी कंपनियों के फार्म लगाकर लाइसेंस प्राप्त कर लिया गया है जबकि दुकानों में बिना रजिस्ट्रेशन वाली कंपनियों के माल देखे जा रहे हैं और कंपनियां विक्रेताओं से संबंध बनाकर सीधे-सीधे लाभ उठा रही है उसका परिणाम किसान भुगत रहे हैं जबकि रोज नई नई कंपनियां बाजार में उतर रही है इन कंपनियों के द्वारा निर्मित सामग्री किसान हित में है या नहीं गुणवत्ता की जांच कौन करेगा कब होगी कैसे होगी ऐसे बहुत सारे प्रश्न किसान के मन में जन्म लेते हैं इन फर्जी कंपनियों द्वारा माल की कीमत में थोड़ा कम करके लाइसेंसी गैर लाइसेंसी विक्रेताओं से संपर्क कर. किसानों को गुमराह किया जाता है किसान हित का मुखौटा पहने वरिष्ठ अधिकारी वातानुकूलित कमरे से बाहर निकलना ही नहीं चाहते किसानों के बीच आकर किसानों की समस्याओं से रूबरू होकर किसान हित में की जाने वाली प्रशासनिक गतिविधियों से दूर भाग रहे हैं यदि कृषि विभाग के कर्मचारियों का मोह वातानुकूलित कमरे से भंग हो जाए और उर्वरक अधिकारी मैदानी क्षेत्र में आकर किसान के कंधे से कंधा मिलाकर किसान सहयोगी भावना के साथ कार्य करें तो निश्चित रूप से भारत सरकार का लक्ष्य किसानों की आय को दोगुना करने का पूरा हो सकेगा एवं इन फर्जी कंपनियों द्वारा की जा रही कालाबाजारी से किसान को निजात मिल पाएगी कृषि विभाग के जिले के कप्तान एके राठौर से बात हुई तो उनके द्वारा कहा गया कि आप ऐसी दुकानों का वीडियो बनाकर हमें दे तभी हम कार्यवाही कर पाएंगे चिंता की बात है कि जिले के किसानों की चिंता करने वाले ही जब निश्चिंत होकर बैठे हैं एवं उन्हें पब्लिक द्वारा बनाए गए वीडियो की प्रतीक्षा है ऐसी स्थिति में किसान का नुकसान होना तो संभव है
बहोरीबंद जिला कटनी से संवाददाता मनोज तिवारी की खास रिपोर्ट