329 स्कूल शिक्षा विभाग में हुयी नियुक्तियों को लेकर


- मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग और ट्राइबल वेलफेयर डिपार्टमेंट में हुयी नियुक्तियों को लेकर कमिश्नर DPI (लोक शिक्षण संचालनालय) से 15 दिनों के भीतर जवाब तलब किया है। आरक्षित वर्गों के चयनित उम्मीदवारों की और से दयार की गई याचिका में कहा गया कि वो अनारक्षित वर्ग की सीट से चयनित हुयी है।   स्कूल शिक्षा विभाग ने उनको पोस्टिंग देते समय उनकी च्वाईस फिलिंग को दरकिनार करते हुए उन्हें सैकड़ो किलोमीटर दूर पदस्थापना दी। मध्यप्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा संयुक्त कांउसिलिंग करके ट्राइबल वेलफेयर डिपार्टमेंट और स्कूल शिक्षा विभाग वर्ष 2022 से 2024 तक तक़रीबन 20 हजार शिक्षकों के पदों पर भर्ती की।  इस भर्ती प्रक्रिया में आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान उम्मीदवार जो की SC,ST OBC और EWS  वर्ग थे। आरक्षित वर्ग के इन उम्मीदवारों ने सामान्य श्रेणी में क्वलीफाईड किया था। स्कूली शिक्षा विभाग ने  इन वर्गों के चयनित छात्रों की पोस्टिंग ट्राइबल विभाग के स्कूलों में कर दी। अनारक्षित वर्ग से चयनित होकर आये आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों की च्वाइस स्कूल एजुकेशन डिपार्टमेंट के स्कूलों में थी। इस मामले को लेकर आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारो ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में पहली बार याचिका दायर की थी। मप्र हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने याचिकाकर्ताओं की याचिका को सुनने के बाद कमिश्नर लोक शिक्षण संचालनालय (DPI) को स्पेसिफिक आर्डर  किया था। आर्डर में हाईकोर्ट ने कहा था की आप याचिकाकर्ताओं के केस का एक्जामिन करके सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल ही में  प्रवीण कुमार कुर्मी के केस में जो दिशा निर्देश दिए गए उन दिशा निर्देश के अनुपालन में इनको एप्रोपिएड पदस्थापना की जाए। लोक शिक्षण संचालनालय के कमिश्नर ने आरक्षित वर्ग के याचिकाकर्ताओ के आवेदन को निरस्त कर दिया था।  कमिशनर ने हवाला देते हुए कहा की हमारा नियम है की कोई भी अभ्यार्थी मेटर राईट, च्वाईस कई स्कूलों में पदस्थापना का क्लेम नहीं कर सकता। याचिकर्ताओं ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में दोबारा पिटीशन फाइल की थी।  बुधवार को हाईकोर्ट की डबल बेंच में  इस केस की सुनवाई थी।  मुख्य न्यायधीश ने इस को गंभीरता से सुनने के बाद निर्णय लिया कि लोक शिक्षण संचालनायालय द्वारा जो पोस्टिंग की गई है वो नियम के विरुद्ध है। याचिकाकर्ताओं ने जिन जिलों स्कूलों में पोस्टिंग के लिए च्वाईस फिलिंग की थी उन स्कूलों में कम नम्बरो वाले उम्मीदवारों को पोस्टिंग दे दी गई है। याचिकाकर्ता उम्मीदवारों को 500, 600, 800, और 1000 किलोमीटर दूर पोस्टिंग दी गई है।  मप्र हाईकोर्ट का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट कहता है की कोई भी आरक्षित वर्ग का उम्मीदवार अगर अनारक्षित सीट से क्वालीफाईड करता है।  क्वालीफाईड होने के बाद जब उसकी पदस्थापना की जाती है तो उसकी च्वाईस प्रिफेन्स को आपको आवश्यक रूप से वरीयता देना होगी।  मप्र हाईकोर्ट ने इस मामले लेकर कमिश्नर DPI से 15 दिनों के भीतर स्पेसिफिक जवाब माँगा है। मप्र हाईकोर्ट ने इस केस की सुनवाई के लिए 20 अगस्त की तारीख नियत की है।



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